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प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का लाभ🐠*

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मछली पालन करने वालों और सीखने वालों के लिए एक सुनहरा मौका* मध्य प्रदेश के भोपाल शहर से आरम्भ start new legal प्रोजेक्ट आपके खेत पर💰💰*                                                                          (Contract Bases Fish Farming Project)*                               प्रोजेक्ट आपकी जमीन, आपके गांव, आपके अधिकार क्षेत्र में...* *🐠प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का लाभ🐠* *नोट ~  गारंटी के तोर पर 5 लाख रुपये की किसान के नाम से SD Bond दिया जायेगा NIDHI LIMITED से* *Partner Part*  आधा  एकड़ जमीन पर 200x100x 4 foot गहरा तालाब बनेगा   पानी की व्यवस्था।  5 लाख 55 हजार  निवेश।   एक चौकीदार जिसकी सैलरी कंपनी देगी व तालाब पर चारो तरफ़ किसान को बल्ली 10 10 फ़ीट पर लगा कर देना होगा!  ...

चमत्कारी पौधा गुल बकावली

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चमत्कारी  फूल, इसका अर्क दूर करता है  मोतियाबिंद  में पाया जाता है यह गुल बकावली का औषधीय पुष्प,नर्मदा नदी और सोन नद के विवाह प्रसंग से है संबंध अमरकंटक में एक ऐसा गुणकारी फूल पाया जाता है जिससे मोतियाबिंद की बीमारी दूर होती है। इस चमत्कारी औषधीय पुष्प का नाम है गुल बकावली जिसका वानस्पतिक अंग्रेजी नाम जिंजर लिली है। नेत्र रोगों में उपयोगी इस पुष्प का पौराणिक कथाओं में भी उल्लेख है। इसे नर्मदा नदी के सोन नद से विवाह को लेकर प्रचलित एक कथा में विशेष स्थान दिया गया है। यह अमरकंटक में बहुतायत में मिलता है। वहां माई की  बगिया में भी यह बड़ी संख्या में हैं। श्वेत गुल बकावली के पुष्प जब खिलते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति ने कोई गुलदस्ता बना दिया हो। आयुर्वेद में यह मोतियाबिंद के उपचार में उपयोगी माना गया है । इसे नेत्र रोगों की शर्तिया दवा माना जाता है। प्राचीन काल से लेकर अभी तक लोग इससे मोतियाबिंद का उपचार करते आ रहे हैं। इसके अलावा यह चित्तभंग मनुष्यों के उपचार में भी रामवाण औषधि माना जाता है। आयुर्वेदाचार्यों के मुताबिक यह अ...

शनि देव

श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।   एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा- नारद- बालक तुम कौन हो ? बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ । नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ? बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ ।    तब नारद ने ध्यान धर देखा।नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि  हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष ...