अंडमान निकोबार स्थित काला पानी की जेल में वीर सावरकर
👆यह वही टैग है जो अंडमान निकोबार स्थित काला पानी की जेल में वीर सावरकर के गले में पूरे 10 वर्ष के कारावास के दौरान पड़ा रहा था
वीर सावरकर की आयु कुल 26 वर्ष थी जब उन्हें ब्रिटिश सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी टैग पर साफ-साफ लिखा है कि उनकी वह दो आजन्म कारावास की सजा 1910 से 1960 तक चलनी थी यानी ब्रिटिश सरकार का इरादा साफ साफ दिखाई दे रहा था कि वह उन्हें काला पानी में यातनाएं दे देकर वहीं पर मौत के आगोश में सुला देना चाहती थी
आज एसी कमरे में बैठकर स्मार्टफोन हाथ में लेकर सावरकर को माफीवीर कहना या उन्हें गद्दार बताना बहुत आसान है
10 वर्षों तक काला पानी में यातनाएं सहने के बाद वह 21 जनवरी 1921 को भारत में रत्नागिरी में लाकर नजर बंद कर दिए गए रत्नागिरी में नजरबंदी के दौरान ही उन्होंने “हिंदुत्व" “हिंदू पद पादशाही" “उषा:प" “उत्तर क्रिया" “सन्यस्त खड़ग" आदि ग्रंथों की रचना की। उन्होंने 40 से अधिक ग्रंथ लिखे है भारत मे उनके जैसे बहुत कम मौलिक लेखक हुए हैं
अगर वह काला पानी में ही अपने प्राण त्याग देते तो सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद सेना बनाने की प्रेरणा ना दे पाते... भारत के विभाजन का प्रखर विरोध न कर पाते
26 फरवरी 1966 को इस चिरंतन ज्योति पुंज ने 22 दिन का उपवास करके स्वर्गारोहण किया
विनायक दामोदर सावरकर हिंदू राष्ट्रभक्त, एक असाधारण योद्धा, एक महान साहित्यकार, एक महान वक्ता, एक प्रगाढ़ विद्वान, एक राजनीतिज्ञ, एक समाज सुधारक और एक प्रखर हिंदू संगठक थे...
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