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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

केवट

✍क्षीर सागर में भगवान विष्णु शेष शैया पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मीजी उनके पैर दबा रही हैं । विष्णुजी के एक पैर  का अंगूठा शैया के बाहर आ गया और लहरें उससे खिलवाड़ करने लगीं ।  . ✍क्षीरसागर के एक कछुवे ने इस दृश्य को देखा और मन में यह विचार कर कि मैं यदि भगवान विष्णु के अंगूठे को अपनी जिव्ह्या से स्पर्श कर लूँ तो मेरा मोक्ष हो जायेगा,यह सोच कर उनकी ओर बढ़ा ।  . ✍उसे भगवान विष्णु की ओर आते हुये शेषनाग ने देख लिया और कछुवे को भगाने के लिये जोर से फुँफकारा । फुँफकार सुन कर कछुवा भाग कर छुप गया ।  . ✍कुछ समय पश्चात् जब शेषजी का ध्यान हट गया तो उसने पुनः प्रयास किया । इस बार लक्ष्मीदेवी की दृष्टि उस पर पड़ गई और उन्होंने उसे भगा दिया ।  . ✍इस प्रकार उस कछुवे ने अनेकों प्रयास किये पर शेष नाग और लक्ष्मी माता के कारण उसे  सफलता नहीं मिली । यहाँ तक कि सृष्टि की रचना हो गई और सत्युग बीत जाने के बाद त्रेता युग आ गया ।  . ✍इस मध्य उस कछुवे ने अनेक बार अनेक योनियों में जन्म लिया और प्रत्येक जन्म में भगवान की प्राप्ति का प्रयत्न करता रहा । अपने तपोबल से उसने दिव्...

अम्बेडकर जयंती पर विशेष

Ambedkar Jayanti 2020: भारत रत्न से सम्मानित डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को एक विश्वस्तरीय विधिवेत्ता, भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार (Chief architect of Indian Constitution ) और करोड़ों शोषितों, वंचितों दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को सम्मानीय जीवन देने के लिए हमेशा याद किया जायेगा. भीमराव अम्बेडकर तीनों गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने वाले गैर कांग्रेसी नेता थे. लेकिन उनसे जुडी कई ऐसी बातें हैं जिससे ज्यादातर लोग अंजान है. आइए इस लेख में हम अम्बेडकर के जीवन से जुडी 23 अनजाने तथ्यों को जानने का प्रयास करते हैं... डॉ॰ आम्बेडकर के बारे में तथ्य (Key facts about Dr. B.R. Ambedkar) जन्मतिथि:14 अप्रैल 1891 जन्मस्थान: महू (अब डॉ॰ आम्बेडकर नगर),मध्य प्रदेश  मृत्यु: 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65) समाधि स्थल: चैत्य भूमि, मुंबई, महाराष्ट्र अन्य नाम: बाबासाहब आम्बेडकर राष्ट्रीयता: भारतीय पिता: रामजी मालोजी सकपाल  माता: भीमाबाई पत्नी: रमाबाई आम्बेडकर (विवाह 1906 - निधन 1935), डॉ॰ सविता आम्बेडकर (विवाह 1948 - निधन 2003) पुत्र: यशवंत भीमराव आंबेडकर पोता:प्रकाश आम्बेडकर शैक्षिक डिग्री: मुंबई विश्वविद्याल...

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निषाद राजा गुहा

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#श्रंगिरपुर, सोरोन, उत्तरप्रदेश इस स्थान का उल्लेख #रामायण में प्रसिद्ध "निशाद राजा गुहा" के शहर के रूप में हुआ था। उन्होंने गंगा में अद्वितीय आतिथ्य की पेशकश की और भगवान राम को जकड़ दिया। ऋषि श्रृंग के नाम पर इस जगह का नाम दिया गया है। यहाँ उनको समर्पित एक मंदिर भी है भारत में ऐसे कई लोग हैं, जो रामायण को पूरी तरह से काल्पनिक कहके खारिज करते थे और है भी, लेकिन तथ्य यह है कि रामायण में वर्णित अधिकांश स्थानों पर खुदाई में प्राचीन शहरों का पता लगाया गया है और श्रंगीपुर में जो पाया वे वास्तव में आश्चर्यजनक दिमाग हिला कर रख देगा। यहां हुई खुदाई में "वर्षा जल संचयन" और "आसवन"  के लिए बनाई गई एक विशाल जलाशय का पता लगाया है। जो की एक पम्पिंग या हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग का एक चमत्कारह है। इसमें तीन झिल्ली-सह-भंडारण टैंक शामिल हैं, जो एक 11 मीटर चौड़ी और 5 मीटर की गहरी नहर से मुहैया कराया जाता है जो कि मानसून-सूखा, गंगा से बाढ़ के पानी को ढकने के लिए इस्तेमाल होता था। नहर से पानी पहले एक सिलिंग कक्ष में प्रवेश किया जाता है, जहां पर गंदगी एकत्रित हो, इस अपेक्षाकृत साफ...

सूर्पनखा

रामायण में सभी राक्षसों का वध हुआ था लेकिन💥 सूर्पनखा का वध नहीं हुआ था उसकी नाक और कान काट कर छोड़ दिया गया था । वह कपडे से अपने चेहरे को छुपा कर रहती थी ।  रावन के मर जाने के बाद वह अपने पति के साथ शुक्राचार्य के पास गयी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी ।  राक्षसों का वंश ख़त्म न हो  इसलिए, शुक्राचार्य ने शिव जी की आराधना की । शिव जी ने अपना स्वरुप शिवलिंग शुक्राचार्य को दे कर कहा की जिस दिन कोई "वैष्णव" इस पर गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन राक्षसों का नाश हो जायेगा । उस आत्म लिंग को शुक्राचार्य ने वैष्णव मतलब हिन्दुओं से दूर रेगिस्तान में स्थापित किया जो आज अरब में "मक्का मदीना" में है । सूर्पनखा जो उस समय चेहरा ढक कर रहती थी वो परंपरा को उसके बच्चो ने पूरा निभाया आज भी मुस्लिम औरतें चेहरा ढकी रहती हैं ।  सूर्पनखा के वंसज आज मुसलमान कहलाते हैं । क्युकी शुक्राचार्य ने इनको जीवन दान दिया इस लिए ये शुक्रवार को विशेष महत्त्व देते हैं । पूरी जानकारी तथ्यों पर आधारित सच है।⛳   जानिए इस्लाम केसे पैदा हुआ.. 👉असल में इस्लाम कोई धर्म नहीं है .एक मजहब है.. दिनचर्या है.. 👉मज...

बाज ओर कोरोना

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# बाज़ की नज़र और हौसले का लोहा दुनिया मानती है ,किंतु बाज़ के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब उसे ज़िंदा रहने  के लिए और अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए कई कठोर फ़ैसले लेने पड़ते है.  # बाज़ की उम्र 70 साल की होती है , किंतु 40 साल तक ही इसके पंजे सही ढंग से काम करते है ,40 साल के बाद ये पंजे मुड़ने के कारण कमजोर हो जाते है और शिकार नहीं पकड़ पाते, इसकी लम्बी और तीखी चोंच भी आगे से मुड़ जाती है , पंख मोटे होने के कारण भारी हो जाते है और छाती से चिपक जाते है , इससे उसे उड़ने में बहुत दिक्कत होती है. ऐसे में बाज़ के पास केवल दो ही रास्ते रह जाते है या तो ऐसे ही बिना शिकार के भूख से अपना जीवन त्याग दे या फिर एक बड़े बदलाव की बेहद दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरे जिसकी अवधि 5 महीने की होती है. और इसिको बाज़ का पुनर्जनम भी कहा जा सकता है. # एक नया जीवन प्राप्त करने के लिए बाज़ उड़कर एक ऊंची चट्टान पर जाता है और वह घोंसला बना कर रहने लगता है , बदलाव की प्रक्रिया में वो अपने भारी हो चुके पंखो को अपनी चोंच से नोच नोच कर फेंक देता है , फिर चट्टान पर अपनी चोंच मार-मार कर दर्द की परवाह ना करत...

रामायण

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रामायण कहानी 1976 में शुरू हुई।  फ़िल्म निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर अपनी फिल्म 'चरस' की शूटिंग के लिए स्विट्जरलैंड गए। एक शाम वे पब में बैठे और रेड वाइन ऑर्डर की। वेटर ने वाइन के साथ एक बड़ा सा लकड़ी का बॉक्स टेबल पर रख दिया। रामानंद ने कौतुहल से इस बॉक्स की ओर देखा। वेटर ने शटर हटाया और उसमें रखा टीवी ऑन किया। रामानंद सागर चकित हो गए क्योंकि जीवन मे पहली बार उन्होंने रंगीन टीवी देखा था। इसके पांच मिनट बाद वे निर्णय ले चुके थे कि अब सिनेमा छोड़ देंगे और अब उनका उद्देश्य प्रभु राम, कृष्ण और माँ दुर्गा की कहानियों को टेलेविजन के माध्यम से लोगों को दिखाना होगा।  भारत मे टीवी 1959 में शुरू हुआ। तब इसे टेलीविजन इंडिया कहा जाता था। बहुत ही कम लोगों तक इसकी पहुंच थी। 1975 में इसे नया नाम मिला दूरदर्शन। तब तक ये दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता तक सीमित था, जब तक कि 1982 में एशियाड खेलों का प्रसारण सम्पूर्ण देश मे होने लगा था। 1984 में 'बुनियाद' और 'हम लोग' की आशातीत सफलता ने टीवी की लोकप्रियता में और बढ़ोतरी की।  इधर रामानंद सागर उत्साह से रामायण की तैयारियां कर रहे थे।...