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23 सितंबर 1908 रामधारी सिंह दिनकर जी

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23 सितंबर-1908 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर 23 सितंबर आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस कवि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्मदिवस है| 23 सितंबर 1908 को सिमरिया, मुंगेर (वर्तमान में बेगूसराय जिले में) बिहार में जन्मे दिनकर स्वतंत्रता पूर्व के विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने जाते रहे। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रांति की पुकार है, तो दूसरी ओर कोमल श्रृँगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें कुरूक्षेत्र और उर्वशी में मिलता है। उर्वशी को छोड़कर, दिनकरजी की अधिकतर रचनाएं वीर रस से ओतप्रोत है| उनकी महान रचनाओं में रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा शामिल है| भूषण के बाद उन्हें वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है| यूँ तो उनकी प्रत्येक रचना अनमोल है पर मुझे जो सबसे ज्यादा पसंद है और हम भारतवासियों के लिए जो सबसे ज्यादा उपयुक्त है, वो है------- क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ कब हारा ? क्षमाशी...

24 सितंबर 1981 भीकाजी कामा

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24 सितम्बर 1861  तिरंगे की प्रथम निर्माता भीकाजी कामा आज स्वतन्त्र भारत के झण्डे के रूप में जिस तिरंगे को हम प्राणों से भी अधिक सम्मान देते हैं, उसका पहला रूप बनाने और उसे जर्मनी में फहराने का श्रेय जिस स्वतन्त्रता सेनानी को है, उन मादाम भीकाजी रुस्तम कामा का जन्म मुम्बई के एक पारसी परिवार में 24 सितम्बर, 1861 को हुआ था। उनके पिता सोराबजी फ्रामजी मुम्बई के सम्पन्न व्यापारी थे। भीकाजी में बचपन से ही देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। 1885 में भीकाजी का विवाह रुस्तमजी कामा के साथ हुआ; पर यह विवाह सुखद नहीं रहा। रुस्तमजी अंग्रेज शासन को भारत के विकास के लिए वरदान मानते थे, जबकि भीकाजी उसे हटाने के लिए प्रयासरत थीं। 1896 में मुम्बई में भारी हैजा फैला। भीकाजी अपने साथियों के साथ हैजाग्रस्त बस्तियों में जाकर सेवाकार्य में जुट गयीं। उनके पति को यह पसन्द नहीं आया। उनकी रुचि सामाजिक कार्यों में बिल्कुल नहीं थी। मतभेद बढ़ने पर मादाम कामा ने उनका घर सदा के लिए छोड़ दिया। अत्यधिक परिश्रम के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। अतः वे इलाज कराने के लिए 1901 में ब्रिटेन चली गयीं। वहाँ प्रारम्भ में उन...

पीपल

🙏🌹नमस्कार मित्रों🌹🙏 विषय- " 🌳#पीपल_का_ज्योतिषीय_महत्व🌳" ➡ आधुनिक वैज्ञानिकों ने ऑक्सीजन की खोज 1773 में की अर्थात वायुमंडल में "#ऑक्सिजन" नामक गैस ही मुख्य है जो हमें स्वास लेने और जीवन के लिये आवश्यक है उन्हें ये बात 1773 में ज्ञात हुई ,ये तथ्य याद रखिये ताकि आगे लेख पढ़ने में आनंद आये। ➡ हमें हमारी "#वैभवशाली_सनातन_संस्कृति" और "#गौरवशाली_सनातन" धर्म पर गर्व है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने तो वर्षों पहले ही "#पीपल" के पेड़ को "#शानिदेव" से जोड़ा था अब कारण समझिये। नवग्रहों में "#वायुतत्व" के इकलौते ग्रह शनिदेव है,शनिदेव ही कालपुरुष की कुंडली अनुसार अष्टम भाव में आयु (कितनी स्वास लेनी है) का निर्धारण करते है। भगवान ने दरअसल इंसान की उम्र नहीं बल्कि उसके द्वारा ली जाने वाली "#स्वासों" की "#सँख्या" निश्चित कर रखी है यही कारण है कि हमारे वैदिक ग्रंथ "#प्राणायाम" आदि पर जोर देते है, ऋषि-मुनि इत्यादि भी नित्य "योग-प्राणायाम" से स्वास लेने की गति को काफी धीमी कर देते थे तभी तो वो लोग ...