पीपल
🙏🌹नमस्कार मित्रों🌹🙏
विषय- " 🌳#पीपल_का_ज्योतिषीय_महत्व🌳"
➡ आधुनिक वैज्ञानिकों ने ऑक्सीजन की खोज 1773 में की अर्थात वायुमंडल में "#ऑक्सिजन" नामक गैस ही मुख्य है जो हमें स्वास लेने और जीवन के लिये आवश्यक है उन्हें ये बात 1773 में ज्ञात हुई ,ये तथ्य याद रखिये ताकि आगे लेख पढ़ने में आनंद आये।
➡ हमें हमारी "#वैभवशाली_सनातन_संस्कृति" और "#गौरवशाली_सनातन" धर्म पर गर्व है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने तो वर्षों पहले ही "#पीपल" के पेड़ को "#शानिदेव" से जोड़ा था अब कारण समझिये। नवग्रहों में "#वायुतत्व" के इकलौते ग्रह शनिदेव है,शनिदेव ही कालपुरुष की कुंडली अनुसार अष्टम भाव में आयु (कितनी स्वास लेनी है) का निर्धारण करते है। भगवान ने दरअसल इंसान की उम्र नहीं बल्कि उसके द्वारा ली जाने वाली "#स्वासों" की "#सँख्या" निश्चित कर रखी है यही कारण है कि हमारे वैदिक ग्रंथ "#प्राणायाम" आदि पर जोर देते है, ऋषि-मुनि इत्यादि भी नित्य "योग-प्राणायाम" से स्वास लेने की गति को काफी धीमी कर देते थे तभी तो वो लोग 150 से अधिक उम्र बहुत आसानी से जी लेते थे। इसको आप कछुए की औसत आयु जिसकी स्वास लेने की गति काफी धीमी है और कुत्तों की औसत आयु जिनकी स्वास लेने की गति काफी अधिक है से तुलना कर सकते हो। आधुनिक वैज्ञानिकों को आज जाकर ब्रम्हज्ञान प्राप्त हुआ कि पीपल का पेड 24 घंटे सिर्फ़ ऑक्सीजन ही छोड़ता है जबकि ऋषियों ने इसे शुरू से ही शनिदेव के साथ जोड़ दिया था। प्राचीन समय में ऋषि-मुनि पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर ही तप या धार्मिक अनुष्ठान करते थे क्योकि पीपल के नीचे बैठकर यज्ञ या अनुष्ठान करने का फल "#अक्षय" होता है।
➡ "#स्कन्दपुराण" के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव,शाखाओं में नारायण,पत्तों में हरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत देव निवास करते हैं।
➡ "#पद्मपुराण" के अनुसार पीपल को प्रणाम करने और उसकी परिक्रमा करने से आयु लंबी होती है और चेहरे पर तेजस सदैव छाया रहता है । जो व्यक्ति इस वृक्ष को नित्य (रविवार छोड़कर) पानी देता है, वह सभी पापों से छुटकारा पाकर स्वर्ग को जाता है।
➡ "#ऋग्वेद" में पीपल के वृक्ष को देव रूप में दर्शाया गया है, "#यजुर्वेद" में यह हर यज्ञ की जरूरत बताया गया है, "#अथर्ववेद" में इसे देवताओं का निवास स्थान बताया गया। इसका उल्लेख बौद्ध पौराणिक इतिहास के साथ-साथ रामायण,गीता, महाभारत और सभी धार्मिक हिंदू ग्रंथों में है।
➡ पीपल में "#पितरों" का वास माना गया है,इसमें सब तीर्थों का निवास भी होता है इसीलिए मुंडन आदि संस्कार पीपल के पेड़ के नीचे करवाने का प्रचलन है।
➡ वामपंथ और अन्य सनातन विरोधियों द्वारा एक भ्रांति फैलायी जाती हैं कि इसके भीतर भूत-प्रेत आदि बुरी शक्तियों का वास होता है। दरअसल अंतिम संस्कार के पश्चात अस्थियों को घर में ना लाकर,एक मटकी में एकत्रित कर लाल कपड़े में बांधने के पश्चात उस मटकी को पीपल के पेड़ से टांगने की प्रथा रही है। मरने के बाद ज्यादातर संस्कार पीपल के वृक्ष के नीचे किए जाते हैं ताकि आत्मा को मुक्ति मिले और वह बिना किसी भटकाव के अपने "गंतव्य स्थान" तक पहुंच जाए,इसीलिए यह धारणा बन गई कि मरने वाले की आत्मा पीपल के पेड़ में वास करने लगती है। दूसरी बात रात के वक़्त पीपल के पत्तों से आवाज आना- "पीपल के पत्तों की बनावट पर कभी गौर किजियेगा तो आसानी से समझ आ जायेगा कि थोड़ी सी भी हवा के चलते ही इसके पत्ते लहलहाने लगते है"।
📜 "पीपल संबंधित उपाय"
➡शनि की "#साढ़ेसाती या #ढैय्या" के कुप्रभाव से बचने के लिए हर शनिवार पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शाम के समय पेड़ के नीचे दीपक जलाना भी लाभकारी सिद्ध होता है। यह विश्वास है कि पीपल की निरंतर पूजा अर्चना और परिक्रमा कर के जल चढ़ाते रहने से #संतान की प्राप्ति होती है। पुण्य मिलता है,अदृश्य आत्माएँ तृप्त होकर सहायक बन जाती है। यदि किसी की कोई कामना है तो उसकी पूर्ति के लिए पीपल के तने के चारों ओर कच्चा सूत लपेटने की भी परंपरा है।पीपल की जड़ में शनिवार को जल चढ़ाने व दीप जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।जब किसी की शनि की साढ़ेसाती चलती है तो पीपल के वृक्ष का पूजन तथा परिक्रमा की जाती है क्योंकि भगवान कृष्ण के अनुसार शनि की छाया इस पर रहती है ✔️
➡ प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल, कच्चा दूध थोड़ा चढ़ाकर, सात परिक्रमा करके सूर्य, शंकर, पीपल- इन तीनों की सविधि पूजा करें तथा चढ़े जल को नेत्रों में लगाएं और "पितृ देवाय नम:" भी 4 बार बोलें तो राहु+केतु, शनि+पितृ दोष का निवारण होता है ✔️
➡ गुरु-पुष्यामृत के दिनअपने कुलदेवता या कुलदेवी के स्थानविशेष जाकर कुलदेवता के पूजनस्थल के समीप पीपल रोपने से आपके वंश की रक्षा होती है और आपका जीवन आयुष्मान हो जाता है ✔️
➡ पीपल के पत्तों से शुभ काम में "#वंदनवार" भी बनाये जाते हैं। धार्मिक श्रद्धालु लोग इसे मंदिर परिसर में लगाते हैं ✔️
➡ मंगलवार या शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे "#हनुमान_चालीसा" पढ़ने से मिलने वाले लाभ में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाती है ✔️
➡ "#रविवार" के दिन और "#सूर्योदय" होने से पहले पीपल पर "#अलक्ष्मी" और "#दरिद्रता" का अधिकार होता है और सूर्योदय के बाद लक्ष्मी जी का अधिकार होता है,इसलिए सूर्योदय से पहले पीपल की पूजा करना निषेध माना गया है। पीपल के पेड़ को काटना अथवा नष्ट करना ब्रह्महत्या के समान पाप माना गया है साथ ही रात्रि में इस वृक्ष के नीचे सोना अशुभ माना जाता है। इसके निकट रहने से प्राणशक्ति बढ़ती है।इसकी छाया गर्मियों में ठंडी तो सर्दियों में गर्म रहती है।इस वृक्ष के पत्ते, फल आदि सभी में औषधीय गुण रहने से यह रोगनाशक भी होता है ✔️
➡ पीपल के वृक्ष के कई ज्योतिषीय गुण बोध माने गए हैं। पीपल को "#बृहस्पति_ग्रह" से जोड़ा जाता है। धन के कारक बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे अधिक लाभ देने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए पीपल की जड़ में जल चढ़ाने को कहा जाता है। माना जाता है कि पीपल में जल चढ़ाने से कुंडली में मौजूद कमजोर बृहस्पति मजबूत होता है और मजबूत बृहस्पति सुख-समृद्धि देता है ✔️
➡ ज्योतिष शास्त्र ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीपल का पेड़ यथासंभव इसके स्थान से हटाया या काटा नहीं जाना चाहिए। अक्सर एक सवाल लोग करते है कि हमारे घर की छत पर पीपल स्वंय उग आया उसका कारण होता है कि पक्षी पीपल के फल को खाते है और उड़ते वक़्त उनके मुँह से बीज गिर जाता है या फिर उनकी विस्ठा से भी बीज छत पर गिर जाता है जो नमी पाकर पौधे का रूप ले लेता है इसे "रविवार" के दिन बहुत ही विनम्रता और श्रद्धापूर्वक मकान या दुकान से दूर किसी खुले मैदान या जलस्थल के समीप रोप देना चाहिये ✔️
➡ पीपल की पूजा से व्यक्ति की तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है। पीपल की पूजा से व्यक्ति में "#दान_धर्म" की प्रवृत्ति बढ़ती है। पीपल को दीप देकर अर्चना करते रहने से आप प्रतियोगिता में अजय रहते है,आपका दल जीत की ओर आगे बढ़ता है..उन्नति के द्वारा खुद-ब-खुद खुलते ही चले जाते हैं।
🌹इति🌹
✒️वैभव डेकाटे✒️
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