अजगर दादर (अजगरों की बस्‍ती) ग्राम ककैया, तह.ब‍िछिया, जिला मंडला (मध्‍यप्रदेश) |Ajgar dadar village kakaiya, bichhiya, Dist-mandla (MadhyaPradesh)

 



अजगर दादर (अजगरों की बस्‍ती) ग्राम ककैया, तह.ब‍िछिया, जिला मंडला |Ajgar dadar village kakaiya, bichhiya, Dist-mandlaAjgar dadar mandla :- 
        मंडला से लगभग 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर जो कि मण्‍डला से लगभग 30 से 35 मिनट का रास्‍ता है एवं कान्‍हा राष्ट्रीय उद्यान जाने से पहले बम्‍हनी से लगभग 10 से 12 किलोमीटर लगभग 20 से 25 मिनट  का रास्‍ता है जो कि आप गूगल मैप से भी देख कर जा सकते है यंहा होता है अजगरों का झुण्‍ड, ठंड का मौसम आते ही यह धूप लेने निकल पडते है जमीन के उपर यह स्‍थानइनकी वंश वृद्धि में सहायक, इन्हें देखने दूर दूर से आते हैं सैलानी । 
        कान्हा के बफर जॉन से लगे अंजनिया वन परिछेत्र के ग्राम ककैया का अजगर दादर” (Ajgar dadarआकर्षण का केंद्र बना हुआ है । दुनिया मैं जिले का नाम राष्ट्रीय उद्यान कान्हा एवं मॉ नर्मदा के कारण प्रसिद्द है आज भी वन्य प्राणी प्रेमियों व् देश विदेश से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है मण्‍डला के इस ग्राम मैं करीब 2 एकड़ के छेत्र मैं सैकड़ों अजगरों का डेरा है । छोटे बड़े सैकड़ों की संख्या में अजगर ( रॉक पाइथन ) इस छेत्र मैं आसानी से देखे जा सकते है । जानकार जंहा इन अजगरों को वन्य प्राणियों की अनुसूची का एक अति दुर्लभ प्राणी बताते है वंहिं इसके संरक्षण की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं । वन अधिकारी कहते है कि ajgar dadar में इनके संरक्षण, संवर्धन की योजना तैयार की जा रही है वही स्थानीय निवासियों के अनुसार इस छेत्र में सैकड़ों अजगरों का वर्षों से डेरा है । इन्हें बहुतायत में ठंड के मौसम में ही देखा जाता है । जैसे जैसे ककैया छेत्र के इस अजगर दादर का पता लोगों को चलता जा रहा है वैसे वैसे लोग इन्हें देखने आते जा रहे है । पॉच से सात एकड मे फेले आग्‍नेय चटटानों की दरारेे है इन चटटानों मे दरार होने के कारण अंदर जगह है जो अजगरों के रहने के लिए उपयुक्‍त स्‍थान है इन्‍ही दरोरो के बीच अजगर रहते हैअजगर एक ऐसा प्राणी है जो अपना शिकार करने के बाद कई महीनों तक बिल मे रह सकता है वन विभाग के अधिकारियों एवं विशेषज्ञ का मानना है ि‍कि अजगर का इतना बडा झुण्‍ड देश मे कही नही देखा गया है यहा बडी संख्‍या मे रहने का यह कारण हो सकता है कि इन चटटानों की दरारों मे छुपने व रहने के लिये उपयुुुुक्‍त है एवं इनका श‍िकार जेसे चूहे खरगोस आसानी से इन दरारों मे छुपने आते है ओर इन अजगर का शिकार हो जाते है एवं अजगर को भी अन्‍य जीव जैसे नेवला कुत्‍ता आसानी से नही पकड पाते यहा तक की इंसान भी नही पकड पाते जब वे इन दरारों मे रहते है । इसलिये इनके लिये उत्‍तम स्‍थान होने के कारण वे यहा पर बने हुये है। 

      अजगर दादर नाम होने का मुख्‍य कारण यहॉ पर एक नही हजारों की संख्‍या मे अजगर पाया जाना है जो कि यह स्‍थान इनके रहने के लिये अनुकूल होने के कारण पडा है स्‍थानीय लोग जो बुजुर्ग है वो बताते है कि यह क्षेत्र जब वे छोटे थे तबसे है ओर अजगर पाये जाते है कभी-कभी तो ग्राम ककैया मे घरों तक मे आ जाते है लेकिन हम उन्‍हे मारते नही है बल्कि पकड कर उनके स्‍थान पर छोड के आ जाते है अभी तक किसी इंसान को नुकसान नही पहुचाये है आज मीडिया इतना सक्रिय हो गया है इसलिये इस स्‍थान की विशेषता मीडिया के कारण यह खबर प्रचारित हुआ है ओर हम लोगो के लिये अजगर देखना आम बात है पर पार्क आने वाले बडे लोगो एवं जो शहरी क्षेत्र के लोगो के लिये कोतुहल का विषय है । वेसे भी प्राय: जंगली जीव जन्‍तु एवं जानवरों का देखना ग्राम का विस्‍तार होने कम हो गया है । यहा पाया जाने बाला अजगर दुर्लभ प्रजाती का है ।
     आजगर दादर मैं पाये जाने वाले अजगर दुर्लभ प्रजाति के हैं और ये ठंड के मौसम में न सिर्फ धूूप सेकने अपने बिलों से बाहर निकलते है बल्कि यह समय इनके सहवास का होता है । स्वभावतः अकेले रहने वाला रॉक पाइथन सहवास के दौरान ही समूह मैं पाया जाता है जबकि ajgar dadar मैं इनका सैकड़ों की संख्या में मौजूद होना उक्त स्थान की भौगोलिक परिस्थित भी है जो इनके अनुकूल है ।
     माना जाता है कि इस क्षेत्र मे लगभग 200 किलो वजन तक के और 20 फुट लम्बे अजगर पाए जाते है यह क्षेत्र 2 एकड के दायरे मे फैला हुआ है जहाँ इंसानो को फूक - फूक कर कदम रखना पड़ता है वर्तमान मे यह स्थान लोगों के घूमने हेतु एक पर्यटन स्थल बन गया है |
          दोस्तों अजगर सांपो की अपेक्षा बहुत कम खतरनाक होते हैं क्यूंकि ये इंसानो पर जल्दि हमला नही करते हैं लेकिन अगर इनका आकार बडा़ हो तो फिर "डरना जरूरी है" वैसे हम आप सभी को बता दें कि यह क्षेत्र कान्हा किशली (khanha kisli ) जो कि हमारा राष्ट्रीय पर्यटन स्थल है | यह काफी प्रसिद्ध भी है और यह क्षेत्र उसके ही अन्तर्गत आता है ।
    भारतीय अजगर भूरे रंग का होता है और इसकी देह पर गहरे धूसर सीमांत वाले तिर्यगागत (बर्फीनुमा) चकत्ते बने होते हैं। सिर पर बर्छी की आकृति का एक भूरा चिह्न होता है तथा शीर्ष के पार्श्वों पर धीरे-धीरे सँकरी होती हुई गुलाबी भूरी पट्टियाँ होती हैं जो नेत्रों के आगे तक भी पहुँच जाती हैं। अजगर का निचला भाग पीले और भूरे धब्बों से युक्त हलके धूसर रंग का होता है।
    अजगर भारत का सबसे बड़ा मोटा साँप है। यह वज़न में 250 पौंड तक का पाया गया है। भारतीय अजगर की अधिकतम लंबाई 7,000 मि. मी. तक और स्थूलतम स्थान पर मोटाई 900 मि. मी. तक पाई गई है।अजगर के जकड़ लेने पर इंसान या जानवर दम घुटने या हृदय गति रुक जाने से मर जाता है.
    इसके बाद अजगर अपने शिकार को पूरा का पूरा निगल लेता है.उनके जबड़े लचीले लिगामेंट से जुड़े होते हैं, जिससे वो अपने बड़े शिकार को भी आसानी से मुंह में डाल लेते हैं.अजगर अक्सर स्तनधारी जानवरों पर ही हमला करते हैं. वो कभी-कभार मगरमच्छ समेत दूसरे रेंगनेवाले जीवों को भी खा लेते हैं."आम-तौर पर अजगर चूहों और दूसरे छोटे जानवरों को खाते हैं. लेकिन एक वक्त के बाद वो बड़े जानवरों का शिकार करने लगते हैं.वो सुअर और यहां तक की गांयों को भी खाने लगते हैं. #AJGER_DADAR, #ajgar_dadar, #ajgar_dader, #ajger_dader, #अजगर_दादर, #kanha_national_park, #kakaiya, #madhya_pradesh, #mandla, #bamhni, 
 

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