Positivity Unlimited Day 3जगतगुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती जी -
Positivity Unlimited Day 3
जगतगुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती जी -
आज विश्व में महामारी के वजह से बहुत गहरा संकट उत्पन्न हुआ है इसके पहले भी जो संकट था उससे हमें विमोचन मिला अब दोबारा से संकट शुरू हुआ है तो इस संकट से भी विमोचन होना चाहिए।
1. हनुमान जी के वचन- दुख होता है, संकट होता है, फिर भी जो अपना मनोबल है हमें वह छोड़ना नहीं है।
2. प्रयास तो करना है क्योंकि जो प्रयास करने वाला व्यक्ति है, जो विश्वास के साथ मेहनत करेंगे उनको फल अवश्य मिलेगा।
3. इस संकट से उबरने के लिए दो प्रकार के प्रयास करें जो कि बहुत आवश्यकता हैं-
१. प्रार्थना करें- मंत्रों के द्वारा, स्तुति के द्वारा, हनुमान चालीसा के द्वारा, अपने सदाचार नियम पालन के द्वारा।
२. आयुर्वेद एवं जो नई पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति है उसका उपयोग करें और उसके द्वारा स्वस्थ रहें।
इसके अतिरिक्त हमें आत्मविश्वास एवं धैर्य का साथ अपने साथ रखना चाहिए क्योंकि इसका भी अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान है-
जब रामचंद्र जी ने युद्ध किया और रावण को पराजय किया, विजय प्राप्त की इस बीच में सीता जी का भी आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए जरूरत पड़ी क्योंकि वह एक पेड़ के नीचे बैठी थी और अपनी देह त्याग का विचार कर चुकी थी तब हनुमानजी ने जाकर आत्मविश्वास बढ़ाने की प्रस्तावना प्रस्तुत की, सूर्यवंश के बारे में स्तुति की इससे सीता जी के मन में जो भी निराशा का भाव था वह आत्मविश्वास में बदल गया।
धैर्य एवं आत्मविश्वास से हम सब इस संकट से बाहर आएंगे बस सामूहिक दृष्टि से माहौल बनाने की आवश्यकता है।
भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया है कि - जो हृदय में अपने संकल्प को लेकर जो तुम्हारे हृदय के अंतःकरण में जो दुर्बलता का वास है उसे त्याग दो।
ललिता सहस्त्रनाम में कहा गया है कि- श्री कामाक्षी देवी के अनुकंपा से लोगों को स्वस्थ जीवन होना है दीर्घायु होना है, बीमारी दूर होना है, बीमारी से मुक्त होना है, स्वस्थ भारत के लिए और विश्व में भी स्वास्थ्य होने के लिए -
हम प्रार्थना करते हैं कि- सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिःl
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें