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अंतिम सत्य

.                            अंतिम सत्य            सुन्दर देहि देखकर उपजत हैं अनुराग।       चाम न होता देही पर जीवित खाते काग।।       दुर्लभ  मानुष  जन्म है, देह न  बारम्बार।       तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।।       हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास।      सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास।।       पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात।       एक दिना छिप जाएगा,ज्यों तारा परभात।      कबीर साहिब जी कहते हैं कि यह संसार मूर्दो का देश है। यहा एक दिन सबको मरना है। फिर भी हमें इस संसार मे जीने की इच्छा क्यो होती है ? .हम आत्मा का अनुभव क्यो नही करना नहीं चाहते। दिन रात दुनिया के पदार्थो मे क्यो खो जाते है।     कबीर साहिब जी कहते हैं कि इस संसार में मनुष्य का जन्म मुश्किल से मिलता है. यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष स...