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राष्ट्र की जय चेतना का गान वंदे मातरम्,

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राष्ट्र की जय चेतना का गान वंदे मातरम्,  राष्ट्रभक्ति प्रेरणा का गान वंदे मातरम्।।  वंदे मातरम् ….  वंशी के बहते स्वरों का प्राण वंदे मातरम्,  झल्लरी झनकार झनके नाद वंदे मातरम्,  शंख के संघोष का संदेश वंदे मातरम्।।1।।  सृष्टि बीज मंत्र  का है मर्म वन्दे मातरम्,  राम के वनवास का काव्य है वंदे मातरम्,  दिव्य गीता ज्ञान का संगीत वंदे मातरम्।।2।।  हल्दीघाटी के कणों में व्याप्त वंदे मातरम्,  दिव्य जौहर ज्वाल का है तेज वंदे मातरम्,  वीरों के बलिदान की हुंकार वंदे मातरम्।।3।।  जन-जन के हर कंठ का हो गान वंदे मातरम्,  अरिदल थर-थर काँपे सुनकर नाद वंदे मातरम्,  वीर पुत्रों की अमर ललकार वंदे मातरम्।।4।।

केशव अर्चना

स्मरे राष्ट्र सारा भरे प्रेम से जो प्रभावी तुम्हारी तपो-साधना अतिव्याकुला बुद्धि से गान कैसे यशोगान की गौरवालापना ॥धृ॥ कभी वासना थी न लोकेषणा की जगायी कृति-दीप्ति तेजस्वला सहस्रो मनो मे वही जागृता हो उठी हिन्दु स्वातन्त्र्य की प्रज्वला ॥१॥ न हो देव पीडा तुम्हे चिन्तना से सुनोगे हमी से योशोगर्जना बहे नेत्र से भावना नीर धारा मदीया यही अश्रु-पुष्पार्चना ॥२॥

केशव अर्चना

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हमें वीर केशव मिले आप जब से नई साधना की डगर मिल गई है॥ भटकते रहे ध्येय-पथ के बिना हम न सोचा कभी देश क्या धर्म क्या है न जाना कभी पा मनुज-तन जगत में हमारे लिये श्रेष्ठतम कर्म क्या है दिया ज्ञान जबसे मगर आपने है निरंतर प्रगति की डगर मिल गई है ॥१॥ समाया हुआ घोर तम सर्वदिक् था सुपथ है किधर कुछ नहीं सूझता था सभी सुप्त थे घोर तम में अकेला ह्रदय आपका हे तपी जूझता था जलाकर स्वयं को किया मार्ग जगमग हमें प्रेरणा की डगर मिल गई ॥२॥ बहुत थे दुःखी हिन्दु निज देश में ही युगों से सदा घोर अपमान पाया द्रवित हो गये आप यह दृश्य देखा नहीं एक पल को कभी चैन पाया ह्रदय की व्यथा संघ बनकर फुट निकली हमें संगठन की डगर मिल गई है॥३॥