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RSS की प्रार्थना का हिन्दी में अनुवाद

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RSS की प्रार्थना का हिन्दी में अनुवाद ------------------------------ 1. नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोsहम्। हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है। 2. महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।। १।। हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ। 3. प्रभो शक्ति मन्हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता, इमे सादरं त्वाम नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं, शुभामाशिषम देहि तत्पूर्तये। हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर! हम हिन्दूराष्ट्र के सुपुत्र तुझे आदर सहित प्रणाम करते है। तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है। उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे। 4. अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम, सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्, श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं, स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्।। २।। हे प्रभु! हमें ऐसी शक्ति दे, जिसे विश्व में कभी कोई चुनौती न दे सके, ऐसा शुद्ध चारित्र्य दे जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये। ऐसा ज्ञान दे कि स्वयं के...

Tattva-vetta Paramhansa ji

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प्रयागराज भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है

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नमस्‍कार दोस्‍तो स्‍वागत है आपका इस ब्‍लाेग मे हम ले चलते है आपको प्रयागराज  जी हॉ हम बिलासपुर से सारनाथ एक्‍सप्रेस से सीधे निकल पडे है प्रयागराज, बिलासपुर से रात को सारनाथ एक्‍सप्रेस मे बैठे ओर सुबह होते ही पहुच गये प्रयागराज जहा पर हम स्‍टैशन से बाहर निकलते ही हमने आटो बुक किया जिसमे हमने वहा स्‍टेशन पर ही अपने पण्‍डा जी का पता पूछा पूछने पर कुछ गुमराह करने की स्थित समक्ष मे आई जिसके कारण एक समक्षदार व्‍यक्ति की आटो मे बैठकर सीधे घाट चलने के लिये बात किये ओर निकल पडे प्रयागराज घाट की ओर ।  यहा पर कुछ लोगो से अपने पण्‍डा श्री गोपाल जी पाठक का पता पूछा जेसे तेसे वो मिल गये फिर चाचा जी ने उनका नम्‍बर लेकर बात किये ओर बुलाया गया उनसे मिलकर बहुत अच्‍छा लगा उन्‍होने अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करते हुये हमारी हर सम्‍भव मदद की एवं आंगे कभी भटकने की जरूरत नही पडेगी ऐसा आश्‍वासन प्राप्‍त हुआ ।  यहा पर पूजन एवं मुण्‍डन के पश्‍चात हम सभी संगम तट पर स्‍नान हेतु चल दिये । गोपाल जी पाठक ने नाई, एवं नौका बाले सभी का अच्‍छा इंतजाम कर दिये थे हम्‍हे भटकना नही पडा ।  जिले के बारे में प्...

अगर आपको भूलने की बीमारी है तो सिर्फ इसे याद रखें...कद्दू

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अगर आपको भूलने की बीमारी है तो सिर्फ इसे याद रखें... क्योंकि इसके गुणों का लोहा तो दुनिया मानती है, फिर आप भला किस खेत की मूली हैं?                  ये सुपर सीड्स हैं जो 400 रुपये किलो से हजार रुपये किलो तक बिक जाते हैं। लेकिन फिर भी कोई इसे यूँ ही फेंक देता है तो कोई सुखाकर रख लेता है। दोनो ही मामले में इनकी कोई कीमत नही है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले केश में ये कचरे में जाते हैं और दूसरे केश में पेट के भीतर । मैं यहाँ बात कर रहा हूँ, मगज सीड्स की, जी हाँ ये कद्दू के सीड्स मगज के सीड्स कहलाते हैं।  शहरी लोग कद्दू खरीदते समय इसके बीज फेक देते हैं जबकि ग्रामीण लोग सब्जी वाले से मांग कर इसके बीज समेट लाते हैं। आजकल के जमाने मे बहुत कम लोग ही यह बात जानते हैं कि कद्दू के बीज ही मगज सीड्स हैं। कद्दू की कई किस्में होती हैं जिन्हें अलग अलग स्थानों पर अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे- कद्दू, कुम्हड़ा, कोंहड़ा, पम्पकिन आदि आदि। गाँव देहात के बुजुर्ग और वनवासी लोग जानते हैं कि कद्दू के बीज फेके नही जाते बल्कि ये सहेजकर रखे जाते हैं।  ये अपने...