प्रयागराज भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है
नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका इस ब्लाेग मे हम ले चलते है आपको प्रयागराज
जी हॉ हम बिलासपुर से सारनाथ एक्सप्रेस से सीधे निकल पडे है प्रयागराज, बिलासपुर से रात को सारनाथ एक्सप्रेस मे बैठे ओर सुबह होते ही पहुच गये प्रयागराज जहा पर हम स्टैशन से बाहर निकलते ही हमने आटो बुक किया जिसमे हमने वहा स्टेशन पर ही अपने पण्डा जी का पता पूछा पूछने पर कुछ गुमराह करने की स्थित समक्ष मे आई जिसके कारण एक समक्षदार व्यक्ति की आटो मे बैठकर सीधे घाट चलने के लिये बात किये ओर निकल पडे प्रयागराज घाट की ओर ।
यहा पर कुछ लोगो से अपने पण्डा श्री गोपाल जी पाठक का पता पूछा जेसे तेसे वो मिल गये फिर चाचा जी ने उनका नम्बर लेकर बात किये ओर बुलाया गया उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा उन्होने अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करते हुये हमारी हर सम्भव मदद की एवं आंगे कभी भटकने की जरूरत नही पडेगी ऐसा आश्वासन प्राप्त हुआ ।
यहा पर पूजन एवं मुण्डन के पश्चात हम सभी संगम तट पर स्नान हेतु चल दिये । गोपाल जी पाठक ने नाई, एवं नौका बाले सभी का अच्छा इंतजाम कर दिये थे हम्हे भटकना नही पडा ।
जिले के बारे में
प्रयागराज भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह प्राचीन ग्रंथों में ‘प्रयाग’ या ‘तीर्थराज’ के नाम से जाना जाता है और इसे भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। यह तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है। समागम-बिंदु को त्रिवेणी के रूप में जाना जाता है और यह हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र है। प्रयागराज में प्रत्येक छः वर्षों में कुंभ और प्रत्येक बारह वर्षों में महाकुंभ, इस धरती पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा आयोजन है।
ऐतिहासिक रूप से, प्रयागराज शहर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा – 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उभरने, 1920 के दशक में महात्मा गांधी की अहिंसा आंदोलन की शुरुआत।
भौगोलिक दृष्टि से, प्रयागराज उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में 25.45 डिग्री उत्तर तथा 81.84 डिग्री पूर्व पर स्थित है। इसके दक्षिणी और दक्षिण पूर्व में बागेलखण्ड क्षेत्र, पूर्व में मध्य गंगा घाटी या पूर्वांचल, दक्षिण-पश्चिम में बुंदेलखंड क्षेत्र, उत्तर और उत्तर-पूर्व में अवध क्षेत्र है। पश्चिम में कौशाम्बी के साथ प्रयागराज दोआब बनाता है जिसे निछला दोआब क्षेत्र कहते हैं। प्रयागराज के उत्तर में प्रतापगढ़, पूर्व में संत रविदासनगर, दक्षिण में रीवा (म०प्र०) तथा पश्चिम में कौशाम्बी स्थित हैं। जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 5482 वर्ग मीटर किमी है । जिले को 8 तहसील, 20 विकास खंड में विभाजित किया गया है।
इस नगर को संगमनगरी, कुंभनगरी, तंबूनगरी आदि नामों से भी जाना जाता है। प्रयागराज के पास मुगल बादशाह अकबर ने एक किला बनवाया और बसाहट बसवाई जिसका नाम इलाहबाद रखा, बाद मे प्रयाग और इलाहबाद एक ही नाम से जानने लगे। अक्टूबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया।
तीर्थराज प्रयाग के यमुना तट पर स्थित प्राचीन भगवान शिव का सोमेश्वर नाथ मंदिर भी है। सोमेश्वर नाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर के कहने पर चंद्रमा ने यहां भगवान शिव की स्थापना की थी।
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के बड़े जनपदों में से एक है। यह गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है। संगम स्थल को त्रिवेणी कहा जाता है एवं यह हिन्दुओं के लिए विशेषकर पवित्र स्थल है।
प्रयागराज जिले में मुस्लिम आबादी की बात की जाए तो वह 13.38 फीसदी हैं. वहीं इस जिले में भी हिंदुओं की संख्या अधिक है जो कि 85.69 फ़ीसदी है
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