माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा क्या है ?

माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा क्या है?

पतित पावनी जगत तारिणी माँ नर्मदा जिस स्थान पर उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है, उस क्षेत्र को उत्तरवाहिनी क्षेत्र कहते हैं।

उत्तर वाहिनी का महत्व

स्कंध पुराण, मतस्य पुराण, वायु पुराण, पद्मपुराण और भृगु संहिता में वर्णित रेवाखंड के श्लोक में वर्णन आता है कि मार्कण्डेय मुनि जी ने युधिष्ठिर सहित पाण्डवों और कुछ देवताओं को उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित हुई नर्मदा जी के स्थानों का महत्व कहा है। चैत्र मास में, उत्तरवाहिनी माँ नर्मदा परिक्रमा करने से सम्पूर्ण परिक्रमा का फल प्राप्त होता है।

त्वदीचि नर्मदायत्र, प्रतिची यत्र जान्हवी । दौत्रगच्छन्त को श्रेष्ठ, प्राचीयन सरस्वती ।।
अर्थात :- जहाँ नर्मदा उत्तरवाहिनी, गंगा पश्चिमवाहिनी और सरस्वती पूर्व वाहिनी होती है, तो वह क्षेत्र धर्मपारायण होता है। 

यत्रास्ते भगवान विष्णु रेवा च उत्तरवाहिनी ।
तत्र स्नानार्थ महाराज, वैष्णव लोक माँ पूर्यातू ।।
अर्थात :- जिस स्थान पर माँ रेवा उत्तर वाहिनी प्रवाहित हुई हो और भगवान विष्णु उत्तराभिमुख हो। हे महाराज वहाँ स्नान करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
 माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी और कहां-कहां है?

नर्मदा मैया अमरकंटक उद्गम स्थल से सागर संगम तक अनेकों स्थानों पर उत्तर दिशा होकर प्रवाहित है। जिस स्थान पर विशेष यज्ञ अनुष्ठान या तप किया गया हो ऐसे स्थान पर मैया उत्तर वाहिनी प्रवाहित हुई। ऐसी माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी दो कोष से ज्यादा हो तो वह क्षेत्र विशेष महत्व का माना गया है। माँ नर्मदा में दो कोष से अधिक उत्तरवाहिनी तीन स्थानों पर प्रवाहित हुई।

* प्रथम स्थान महिष्मति नगर जहाँ पर व्यासनारायण मंदिर व माँ सरस्वती का प्रस्त्रवण तीथ से घाघी स्थान तक कुल 20 किलोमीटर उत्तर दिशा में मैया बहती है उसके तुरंत बाद माँ अपनी प्रवाह की दिशा बदल देती है।

* द्वितीय स्थान धारा जी (ओंकारेश्वर का डूब क्षेत्र) यह स्थान राजा बली के तप से बना था जो अब विकास की बली चढ़ चुका है।

* तृतीय स्थान तिलकवाड़ा क्षेत्र गुजरात जहाँ पर कुल 8-9 किलोमीटर मैया उत्तर दिशा में बहती है, इस परिक्रमा में आस-पास के तीर्थ मिलाकर 21 किलोमीटर कर दिया गया है।
21 km
            कोई भी मंदिर का निर्माण तो हम और आप कर सकते हैं, पर तीर्थों का निर्माण तो स्वयं भगवान उपस्थित होकर करते हैं।

#महिष्मति माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा का मार्ग और उसके तीर्थ स्थल

1.श्री व्यास नारायण मंदिर-

वर्तमान में जो व्यास नारायण मंदिर हैं, किसी काल में ऋषि वेद व्यास जी का आश्रम था और यह स्थान नर्मदा मैया के दक्षिण तट में स्थित था। आश्रम में भ्रमण करते हुये सप्तऋषियों का आगमन हुआ वेद व्यास जी ने ऋषियों से भोजन प्रसादी ग्रहण करने का आग्रह किया, पर दक्षिण तट पितृ तट होने के कारण ऋषियों ने मना कर दिया तब वेद व्यास जी ने नर्मदा मैया को मार्ग बदलने का आग्रह किया पर उन्होने नही माना तब व्यास जी ने भोलेनाथ की आराधना व्यास नारायण के रूप में की तो भोलेबाबा प्रसन्न होकर नर्मदा मैया को अपना मार्ग बदलने को कहा। वेद व्यास जी ने अपने दंड से रेखा खीचते हुये, मैया को मार्ग बतलाया तब से व्यास जी का यह दंड व्यास दंड के रूप में बतलाया गया। प्रत्येक परिक्रमावासी आज भी यह दंड व्यास दंड के रूप में रखने का विधान है। आज भी व्यास नारायण मंदिर उस घटना का सनातन साक्ष्य है।

महिष्मती माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा का आरंभ एवं समापन स्थल है।

2.माँ सरस्वती का प्रस्त्रवण तीर्थ (विष्णुपुरी) ग्राम-पुरवा-

नर्मदा मैया के तट पर अनेकों जल धारायें जो किसी न किसी सनातन साक्ष्य के घटना की साक्षी हैं परन्तु विष्णुपुरी में ज्ञान की देवी माँ सरस्वती ने स्वयं ज्ञान की आराधना की जिसके कारण यहां माँ सरस्वती का प्रस्त्रवण तीर्थ कहलाया। महिष्मति माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा किला घाट से नाव द्वारा प्रस्त्रवण तीर्थ (विष्णुपुरी) पुरवा पहुँचेगी। माँ सरस्वती जी की गुप्त धारा माँ नर्मदा में मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है।

3.सहस्त्रधारा-

महिष्मति नगरी निकट कार्तिकवीर्य सहस्त्रार्जुन की तपस्थली रही है जो आज सहस्त्रधारा के नाम से जाना जाता है, यहीं पर कार्तिकवीर्य अर्जुन ने भगवान भोले नाथ को प्रसन्न कर सहस्त्रार्जुन होने का वर प्राप्त किया। यह तीर्थ आज भी महिष्मति के गौरव कार्तिकवीर्य सहस्त्रार्जुन के तप को सनातन साक्ष्य के रूप में प्रमाणित करता है।

विशेष आग्रह (आवश्यक सामग्री)-

1. परिक्रमा के दौरान अनावश्यक प्लास्टिक, पॉलिथीन का प्रयोग न करें।
2. अपने साथ भोजन पात्र एवं पानी के लिये बॉटल साथ में रखें। 3. सम्भव हो तो परिक्रमावासियों के सफेद कपड़े का प्रयोग करें।
4. मौसमानुकूल ओड़ने बिछाने के लिए कपड़े साथ में रखें।
5. अनावश्यक बातचीत न करते हुये अपने ईष्ठ का नाम स्मरण करें।
6. स्वास्थ्य संबंधी गोली दवाई चल रही हो तो साथ लेकर चलें ।

Mo. 7999798942, 9821154745, 9425087615, 8319435534, 6261418827

MAHISIMATI MA UTTRAVAHINI PARIKRAMA AAYOJAN GAMITI

महिष्मति माँ नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा आयोजन समिति

महिष्मती मां नर्मदा उतरवाहिनी परिक्रमा का द्वितीय आयोजन 
दिनांक 4 मई से 5 मई 2024
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महिष्मती मां नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा आयोजन दिनांक 4 मई से 5 मई 2024 तक हो रही है जिसमें प्रातः 5: 30 से 6: 30 तक श्री व्यास नारायण राजराजेश्वरी मंदिर मण्डला में संकल्प पूजन होगा तत्पश्चात मां नर्मदा की महाआरती कर झूला पुल और सरकंडा घाट से भी नाव से पार उतरना है पुरवा होते हुए परिक्रमा महाराजपुर पहुंचेंगे वहां से कारीकोन दादा धनीरामआश्रम में बाल भोग (अल्पाहार) होगा और मानादेई आश्रम में ठंडा पेयजल व्यवस्था है आगे सिलपुरा में कोठी घाट आश्रम में दोपहर 12 बजे भोजन प्रसादी व्यवस्था होगी 3 बजे वहां से यात्रा आगे 3:30 से बढ़कर घाघा हाईस्कूल प्रांगण में मां नर्मदा संध्या आरती भजन कीर्तन रात्रि विश्राम होगा पुनः 5 30 बजे घाघा से स्नान पूजन होगा तट परिवर्तन कर ग्वारी माध्यमिक शाला में बाल भोग स्वल्पाहार के बाद यात्रा प्रारम्भ होगी फूलसागर तिराहा से स्वागत तिदनी में फल वितरण व 12 बजे से राजपूत ढाबा कटरा में भोजन प्रसादी व्यवस्था होगी 3 बजे मण्डला नगर भ्रमण करते हुए श्री व्यास नारायण राजराजेश्वरी मंदिर में जलाभिषेक कर प्रसाद वितरण के साथ परिक्रमा पूर्ण होगी !





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