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धरती की शान तू है मनु की संतान

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धरती की शान तू है मनु की संतान तेरी मुठ्ठियों मैं बंद तूफान है रे मनुष्य तू बड़ा महान है भूल मत मनुष्य तू बड़ा महान है तू जो चाहे पर्वत पहाड़ों को फोड़ दे तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे तू जो चाहे धरती को अंबर से जोड़ दे अमर तेरे प्राण (२)....मिला तुज को वरदान तेरी आत्मा मैं स्वयं भगवान है रे मनुष्य तू बड़ा महान है भूल मत मनुष्य तू बड़ा महान है नयनों में ज्वाल तेरी गति में भूचाल तेरी छाती में छुपा महाकाल है पृथ्वी के लाल, तेरा हिमगिरि सा भाल तेरी भृकुटि मैं तांडव का ताल है निज को तू जान (२)....जरा शक्ति पहचान तेरी वाणी में युग का आह्वान है रे मनुष्य तू बड़ा महान है भूल मत मनुष्य तू बड़ा महान है धरती सा धीर तू है अग्नि सा वीर तू जो चाहे तो काल को भी थाम ले पापों का प्रलय रुके, पशुता का शीश जुके तू जो अगर हिम्मत से काम ले गुरु सा मतिमान (२)....पवन सा तू गतिमान तेरी नभसे भी ऊँची उड़ान है रे मनुष्य तू बड़ा महान है भूल मत मनुष्य तू बड़ा महान है

ब्लड बढ़ाने का नुक्सा

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ब्लड बढ़ाने का नुक्सा चुकन्दर 1 नग लोंकी 100 ग्राम गाजर 2 नग टमाटर 2 नग पुदीना 12 पत्ती तुलसी 12 पत्ती अदरक छोटा टुकडा सेंधा नमक 2 चुटकी पालक 12 पत्ती नींबू 1 नग  भुन्जा जीरा 2 चुटकी बच्चो को खांड (मिश्री)  या मीठा दही के साथ मिश्री और एक गेहूँ के बराबर चुना पका

भारत हमारी माँ है

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भारत हमारी माँ है माता का रूप प्यारा  करना इसी की रक्षा कर्तव्य है हमारा… जननी समान धरती जिस पर जन्म लिया है  निज अन्न वायु जल से जिसने बड़ा किया है  जीवन वो कैसा जीवन इस पर अगर न वारा।।1।।  स्वर्णिम प्रभात जिस का अमृत लुटाने आए  जहाँ सांझ  मुस्कुराकर दिन की थकान मिटाएं  दिन-रात का चलन भी जहाँ शेष जग से न्यारा।।2।।  जहाँ घाम भीगा पावस भीनी शरद सुहाये  बीते शिशिर को पतझड़ देकर वसंत जाये  जिसे धूप छांव वर्षा हिमपात ने सवाँरा।।3।।  पावन पुनीत माँ का मन्दिर सहज सुहाना  फिर से लुटे न बेटो तुम नींद में न खोना  जागृत सुतों का बल ही माँ का सदा सहारा।।4।  

आरती भारत माता की

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आरती भारत माता की आरती भारत माता की जगत के भाग्यविधाता की सिर पर हिमगिरिवर सोहे, चरण को रत्नाकर धोए देवता गोदी में सोए, रहे आनंद, होय न द्वंद, समर्पित छंद बोलो जय बुद्दि प्रदाता की॥1॥ आरती भारत..........  जगत से यह लगती न्यारी, बनी है इसकी छवि प्यारी, के दुनिया देख जले सारी, देखकर झलक, झुकी है पलक, बढी है ललक, कृपा बरसे जहां दाता की॥2॥ आरती भारत……… गोद में गंगा जमुना लहरे, के भगवा फहर फहर फहरे, लगे हैं घाव बहुत गहरे, हुए हैं खंड, करेंगे अखंड, देकर दंड मौत दुखदाता विदेशी की॥3॥ आरती भारत……… पले जहां रघुकुल भूषण राम, बजाए बंशी जहां घनश्याम, जहां के कण कण तीरथ धाम पले हर धर्म, साथ शुभ कर्म, ले बेशर्म गुंजे धुन राम विधाता की॥4॥ आरती भारत........  बढे हिंदू का स्वाभिमान, किया केशव ने जीवनदान, बढाया माधव ने सम्मान, चलेंगे साथ, हाथ में हाथ, उठाकर माथ शपथ गीता, गौमाता की॥5॥ आरती भारत………